पिलुआ मंदिर में लेटे हुए हैं हनुमान, लेते हैं सांस, आज तक कोई नहीं भर नहीं पाया इनका पेट
- by admin
- Jul 19, 2024
इटावा के बीहड़ क्षेत्र मैं स्थित ये धार्मिक स्थान इटावा वासिओ के लिए आस्था का अनूठा स्थान है,वीर बजरंग वलि की ये लेटी हुई प्रतिमा बेहद सिध्य और ऐतिहासिक है,महाभारत काल के दौरान पांडवो ने अपना अज्ञातवास इटावा के आस पास के क्षेत्रो मैं ही व्यतीत किया,कहावत है की भीम को अपनी शक्ति का बेहद घमंड हो गया था,इसी स्थान पर पिलुआ के पेड़ के नीचे हनुमान जी एक वृद्ध के रूप मैं बैठ गए,और अपनी पूछ को रास्ते मैं डाल दिया,जब भीम वही से निकले तो उन्होंने पूछ को हटाने को कहा,हनुमान बोले आप स्वं हटा लो मैं वृद्ध हू,काफी ताकत लगाने के बाद भीम पूछ को टश से मश भी न कर सके,तब भीम ने वृद्ध से क्षमा मागी,हनुमान अपने असली रूप मैं आगये,तभी से यहाँ जमीन पर लेटी प्रतिमा बेहद सिध्य है,और एक बात और मूर्ति को कितना भी पानी पिलाओ वो कम नहीं होता,आज के वैज्ञानिक युग मैं ये मूर्ति लोगो के लिए एक पहेली है,लेकिन हम इटावा वासिओ के लिए तो अटूट आस्था का प्रतीक
बुढ़वा मंगल को जमघट
इस मंदिर में यूं तो हर मंगलवार को भारी भीड़ जुटती है। लेकिन साल में एक बार मंगलवार को बुढ़वा मंगल पड़ता है। मान्यता है कि बुढ़वा मंगल के दिन जो भी महावीर के दर्शन करता है उसके सब कष्ट दूर हो जाते हैं। इसीलिए यहां उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान के तीन से पांच लाख लोगों का हुजूम पूजा अर्चना करने के लिए जुटता है।
पिलुआ हनुमान मंदिर की मान्यता
चौहान वंश के अंतिम राजा हुक्म देव प्रताप की रियासत में बनाया गया था। मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति दक्षिण दिशा में मुख करे हुए लेटी हुई है। हनुमान जी की इस प्रतिमा के मुख में हर वक्त पानी भरा रहता है। कितना भी प्रसाद मुंह में डालिए पूरा प्रसाद मुंह में समा जाता है। आज तक किसी को पता नहीं चला कि यह प्रसाद जाता कहां है। मान्यता है कि मूर्ति सांस लेती है और भक्तों के प्रसाद भी खाती है। लोगों ने मूर्ति के सोस लेने और राम-राम की आवाज आनी भी सुनी हैं। यहां पानी के बुलबले से भी आवाज आती है। खास बात यह है कि इस मंदिर में महाबली हनुमान जी की प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठित नहीं है। कहा जाता है यहां हनुमान जी खुद जीवित रूप में विराजमान हैं।
आस्था का सैलाब
बीहड़ में स्थापति हनुमान मंदिर की मूर्ति अपने आप में कई चमत्कार समेटे है। इस रहस्य क कोई पता नहीं लगा पाया कि प्रसाद के रूप में जाने वाला दूध, पानी और लडडू आखिरकार जाता कहां है। हनुमान भक्तों का दावा है कि हनुमान जी इस मंदिर में जीवित अवस्था में हैं। तभी एकांत में सुनने पर प्रतिमा से सांसें चलने की आवाज सुनाई देती है। भक्त कहते हैं मूूर्ति की आंखों में देखते ही लोगों की परेशानियां हल हो जाती हैं। इन्हें लगाया जाने वाला कई गुणा भोग भी इनके उदर को नहीं भर पाता है।
महंत की जुबानी
हनुमान मंदिर के मंहत धर्मेंद्र दास का कहना है कि हनुमान जी की लेटी हुई मूर्ति इलाहबाद में भी है, लेकिन ऐसी दूसरी मूर्ति देश और दुनिया में कहीं और नहीं है। प्रतिमा के मुख में हर वक्त पानी भरा रहता है।
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