सामाजिक खाप पंचायत खत्म करने के लिए हमने अनेकों बार नुकसान शाह है अजय सिंह सांसी
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- Mar 05, 2025
राजस्थान उप संपादक पारस शर्मा
जोधपुर | भारत को स्वतंत्र हुए 77 वर्ष से अधिक हो चुके हैं। हम 76वां गणतंत्र दिवस मना रहे हैं और अपने संविधान को नमन कर रहे हैं। इसके बावजूद, देश में कुछ ऐसे समुदाय हैं, जहां खाप पंचायतें आज भी प्रचलित हैं। ये पंचायतें न तो कानून का सम्मान करती हैं और न ही संविधान का पालन करती हैं। वे अपनी मनमर्जी से सामाजिक व्यवस्थाएं संचालित करती हैं और न्यायिक फैसले सुनाती हैं। यहां तक कि लोगों के जीवन और सामाजिक अस्तित्व का निर्णय भी इन्हीं पंचायतों के माध्यम से लिया जाता है।
यह सुनने में अजीब लग सकता है, लेकिन यह कटु सत्य है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण सांसी समुदाय है, जहां खाप या जाति पंचायतों के कठोर और अमानवीय फैसले लागू होते थे। इनमें पूरे परिवार को समाज से बहिष्कृत करने, उन्हें मृत समान घोषित करने और उनके सामाजिक लेन-देन पर रोक लगाने जैसी सख्त व्यवस्थाएं शामिल थीं।
सांसी समुदाय में एक प्रक्रिया को "हेला" कहा जाता था। इसके तहत किसी परिवार को समाज से पूरी तरह अलग कर दिया जाता था। उनके हुका-पानी पर रोक लगा दी जाती थी। सामाजिक लेन-देन, उठना-बैठना, यहां तक कि किसी भी प्रकार के निमंत्रण पर भी प्रतिबंध लगाया जाता था। यदि कोई व्यक्ति इस बहिष्कृत परिवार से संपर्क करता, तो उस पर भी कठोर कार्रवाई की जाती थी।
इन फैसलों का प्रभाव पूरे खानदान पर पड़ता था। विरोध करने की हिम्मत करने वाले को सामाजिक और मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ती थी।
सांसी समुदाय के वर्तमान प्रमुख, अजय सिंह सांसी, ने इस गंभीर समस्या को उजागर किया और इसके खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने बताया, "पंचायत की समस्या से हम लंबे समय से जूझ रहे थे। खाप पंचायतों के कठोर प्रावधानों के कारण पूरे एक खानदान को समाज से बहिष्कृत कर दिया जाता था। इससे उनका समाज और सरकारी व्यवस्थाओं से जुड़ाव समाप्त हो जाता था। यह स्थिति मानसिक और सामाजिक रूप से अत्यधिक कष्टकारी थी।" न केवल इस अमानवीय प्रथा के खिलाफ मोर्चा संभाला, बल्कि व्यापक आंदोलन भी चलाया। उन्होंने बताया कि इस संघर्ष में उन्हें व्यक्तिगत रूप से कई नुकसान सहने पड़े। यहां तक कि स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि खून-खराबे जैसी घटनाएं भी हुईं।
उनके अथक प्रयासों और समुदाय के सहयोग से, सांसी समुदाय में खाप पंचायत प्रणाली को पूरी तरह समाप्त कर दिया गया।
"हमने यह सुनिश्चित किया है कि खाप पंचायत जैसी प्रथाएं दोबारा स्थापित न हो। यदि कोई ऐसा प्रयास करता है, तो हम तुरंत कानून का सहारा लेते हैं। अब सामाजिक समस्याओं का समाधान संविधान और कानून के दायरे में किया जाता है।"
पंचायत प्रणाली के अंत के बाद, सांसी समाज में सकारात्मक बदलाव शुरू हुए हैं। सामाजिक कुरीतियों और आर्थिक बोझ में कमी आई है। कानून और संविधान का पालन बढ़ रहा है। अब समाज विकास की दिशा में अग्रसर हो रहा है। जोधपुर और आसपास के क्षेत्रों में भी इस अभियान को फैलाया जाए, ताकि खाप पंचायत जैसी प्रथाओं का अंत हो और समाज उन्नति के मार्ग पर बढ़े राजस्थान उप संपादक पारस शर्मा
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