तड़पते पक्षी देख जोगमाया चुग्गा संघ के सेवाभावी दो दोस्तों की जगी मानवता, बुंद बुंद पद्धति से सैकड़ों पौधे बने पेड़
- by admin
- Mar 20, 2025
राजस्थान उप संपादक पारस शर्मा
जोधपुर। दो दोस्त सेवाभावी मांगीलाल डऊकिया और किशोरसिंह राठौड़ ने एक बार पक्षियों को दुर्घटना में घायल देखा तो सेवा का भाव जगा और ठान लिया कि पक्षियों के लिए कुछ करना है। बस उन्होंने 11 साल पहलें 2014 में प्रथम शाखा के रूप में खाराबेरा पुरोहितान पट्टों का बास में स्थित जोगमाया मंदिर में जोगमाया चुग्गा संघ की स्थापना की, जिसमें अभी तीन सौ सदस्य हैं। 5 किलो चुग्गे से शुरुआत हुई और अब रोज 100 किलो ज्वार, बाजरी, मक्की आदि चुग्गा पक्षियों को डालते हैं। उस समय यहां मंदिर परिसर में हरियाली नहीं थी। तब दोनों दोस्तों ने चार-पांच पौधे लगाए और सामने ही वाटर वर्क्स से चार-पांच बाल्टी पानी रोज भरकर लाते और पौधों को पानी पिलाते। फिर पानी का कनेक्शन लिया। टांका बनाया। मोटर भी लगाई और बाद में सैकड़ों पौधे लगाए जो बूंद-बूंद पद्धति से अब पेड़ बन चुके हैं। यहां कबूतर, तीतर, गौरेया, तोते और अन्य कई पक्षी आते हैं और चुग्गा-चुगते हैं और पक्षियों की कलरव होती है। यही नहीं यहां बने पक्षी घर में उनका डेरा रहता है। यहां पानी की कुंडियों में पक्षी अठखेलियां करते हैं। करते। आंगन में मोरों का भी डेरा लगा रहता है और बादलों को देखकर नृत्य करते हैं। ऐसे प्राकृतिक दृश्य यहां रोज देखे जा सकते हैं। यहां सैकड़ों परिडे भी लगे हैं, जहां पक्षी प्यास बुझाते हैं। पक्षियों के लिए घरीद भी बने हुए हैं, जहां वे विश्राम करते हैं।
सेवाभावी मांगीलाल डऊकिया और किशोरसिंह राठौड़ ने लोगों को संदेश दिया है कि गमी के मौके पर पुष्प चढ़ाकर श्रद्धांजलि देने की बजाय चुग्गा की बोरी रखें और मुठ्ठी भर चुग्गे से श्रद्धांजलि अर्पित करें। साथ ही मांगलिक अवसरों पर पौधे गिफ्ट दें ताकि पर्यावरण का संरक्षण हो सकें।
इस संघ की जोगमाया चुग्गा मंदिर, पुरोहितान गिरियाली नाडी, ठंडली नाडी खाराबेरा पुरोहितान पट्टाकावास, पीथावास रुड़कली कुम्हारों की प्याऊ और इंडस्ट्रीयल एरिया बोरानाडा रीको सहित पांच शाखाएं हैं।
सेवाभावी मांगीलाल डऊकिया और किशोरसिंह राठौड़ ने बताया कि यहां जोगमाया मंदिर में 500 साल पुरानी मूर्ति है। हर साल रक्षाबंधन से एक दिन पहले और नवरात्रा में जागरण और घूघरी की प्रसादी और यज्ञ होता है। मंदिर के पुजारी जोगाराम 30 साल से सेवाएं दे रहे हैं। साल में एक बार "एक शाम पक्षियों के नाम" कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें धार्मिक आयोजन के साथ भामाशाहों को सम्मानित भी किया जाता है राजस्थान उप संपादक पारस शर्मा.9351448065
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