अब अंतरिक्ष बन रहा युद्ध का नया मैदान … भारतीय उपग्रहों को खतरा! …साइबर हमले की आशंका ने चिंता में डाला
- by admin
- Apr 20, 2025
नई दिल्लीअंतरिक्ष अब केवल खोज का क्षेत्र नहीं रहा। पहले लोग अंतरिक्ष को सितारों, ग्रहों और वैज्ञानिक खोजों के लिए देखते थे, लेकिन अब यह एक ऐसी जगह बन रही है, जहां देश अपनी ताकत दिखाने और सुरक्षा के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। बड़े-बड़े देश अंतरिक्ष में हथियार और सुरक्षा प्रणालियां बना रहे हैं। इसका मतलब है कि अंतरिक्ष अब युद्ध का मैदान भी बन सकता है। भारत, जो अंतरिक्ष में बहुत कुछ हासिल कर चुका है, अब एक बड़े सवाल के सामने खड़ा है। उसे अपनी सुरक्षा के लिए तेजी से कदम उठाने होंगे।
भारत ने अंतरिक्ष में कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं, लेकिन कुछ देशों ने ऐसी तकनीकें बनाई हैं, जो भारत के उपग्रहों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। इसलिए भारत को अपनी रक्षा के लिए और मेहनत करनी होगी। अंतरिक्ष में युद्ध का मतलब केवल हथियारों से हमला करना नहीं है। यह कई तरह से हो सकता है। मिसाल के तौर पर, कोई देश साइबर हमले करके उपग्रहों को खराब कर सकता है। २०२२ में रूस और युक्रेन के युद्ध के दौरान ऐसा ही हुआ, जब एक उपग्रह पर साइबर हमला किया गया। इससे सारी जानकारी और संचार बाधित हो गया। यह तरीका सस्ता है और इसे छिपाना भी आसान है। इसके अलावा, कुछ उपग्रह जो दिखने में सामान्य लगते हैं, वे सैन्य जानकारी इकट्ठा करने के लिए इस्तेमाल होते हैं। चीन के कुछ उपग्रह ऐसा ही काम करते हैं।
भारत के सामने कई चुनौतियां
भारत के सामने कई चुनौतियां हैं। अगर दूसरे देश अंतरिक्ष में और ताकतवर हो गए तो भारत की सुरक्षा को खतरा हो सकता है। भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम अभी भी कुछ क्षेत्रों में पीछे है। मिसाल के तौर पर भारत के पास अभी उतनी अच्छी तकनीक नहीं है, जितनी चीन या अमेरिका के पास है। भारत का अंतरिक्ष बजट भी इन देशों की तुलना में कम है। भारत का अंतरिक्ष संगठन इसरो हर साल लगभग १.६ बिलियन डॉलर खर्च करता है, जबकि अमेरिका का नासा २५ बिलियन डॉलर से ज्यादा और चीन का अंतरिक्ष संगठन १८ बिलियन डॉलर से ज्यादा खर्च करता है। इससे भारत को नई तकनीक बनाने में मुश्किल होती है।
खास अंतरिक्ष कमांड जरूरी
भारत की अर्थव्यवस्था के लिए भी अंतरिक्ष बहुत जरूरी है। भारत का अंतरिक्ष उद्योग तेजी से बढ़ रहा है। अनुमान है कि २०२५ तक यह १३ बिलियन डॉलर का हो जाएगा, लेकिन अगर अंतरिक्ष में युद्ध बढ़ा तो भारत के उपग्रहों को खतरा हो सकता है। इससे व्यापार और सहयोग पर असर पड़ेगा। बीमा की लागत भी बढ़ सकती है। इसलिए भारत को अपनी रक्षा और अर्थव्यवस्था, दोनों को बचाने के लिए कदम उठाने होंगे। इसके लिए भारत को कई काम करने चाहि। सबसे पहले, भारत को एक खास अंतरिक्ष कमांड बनाना चाहिए, जो केवल अंतरिक्ष की सुरक्षा पर ध्यान दे। दूसरा, भारत को अपनी तकनीक को और बेहतर करना होगा। उसे ऐसी प्रणालियां बनानी होंगी, जो साइबर हमलों और अन्य खतरों से बचा सकें।
भारत के एक बड़े सैन्य अधिकारी जनरल अनिल चौहान ने कहा है कि अब युद्ध में जीत के लिए अंतरिक्ष में ताकत जरूरी है। यह बात सही है, क्योंकि आज के युद्ध केवल जमीन या समुद्र पर नहीं लड़े जाते। अंतरिक्ष में जो देश मजबूत होगा, वह युद्ध में भी आगे रहेगा। दुनिया के बड़े देश इस दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं। अमेरिका ने अपनी अंतरिक्ष सेना बनाई है, जो हर साल बहुत सारा पैसा नई तकनीक पर खर्च करती है। चीन ने भी अपनी सेना में अंतरिक्ष को शामिल किया है, जिससे उसे युद्ध में फायदा मिल सकता है।
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