महान सुशासक देवी अहिल्या ने लिखी थी देश की संस्कृति एवं विकास की गौरव गाथा-
- by admin
- May 24, 2025
महान सुशासक देवी अहिल्या ने लिखी थी देश की संस्कृति एवं विकास की गौरव गाथा-
निबंध प्रतियोगिता में बेटियों ने मातोश्री की धर्म निष्ठा एवं समाज सुधार की कहानियों को शब्दो मे पिरोया
नागदा- अपने शासन काल में धर्म परायण का एवं सुशासन से देश के विकास की अद्वितीय गौरव गाथा लिखने वाली मालवा एवं इंदौर की महारानी देवी अहिल्या ने भारत देश को संपूर्ण विश्व पटल पर गौरवान्वित किया था। ऐसी ही प्रेरणा दायीं, विश्व के इतिहास में सहजता, सरलता, न्याय प्रियता एवं वात्सल्य की अद्वितीय मूर्ति की जन्म जयंती के अवसर पर नौनिहाल बेटियों के लिए भाजपा नगर मंडल द्वारा शुक्रवार को निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉक्टर तेज बहादुर सिंह चौहान द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के उपरांत में सभी मातृशक्ति द्वारा देवी अहिल्या की तस्वीर पर माल्यार्पण कर देवी अहिल्या अमर रहे का जय घोष कर उपस्थित बेटियों को माता अहिल्या के साहस एवं उनकी अद्वितीय कार्य शैली के परिचय बिंदु रखे गए। साहित्य के स्तंभ डॉक्टर लक्ष्मी नारायण सत्यार्थी ने बेटियों एवं महिलाओं को माता अहिल्या के गुणों को अपने जीवन में अनुसरण करने तथा आधुनिक तथा पाश्चात्य सभ्यता को त्याग कर हिंदी को अपनी मातृभाषा के रूप में प्राथमिकता देने के लिए प्रोत्साहित किया। मीडिया प्रभारी नितेश मेहता ने बताया कि निबंध प्रतियोगिता के पुरस्कार विजेता में प्रथम चित्रांशी, द्वितीय तनीषा, वंशिका एवं तृतीय वर्षी जैन रहे। सभी प्रतियोगियों को उपहार देकर प्रोत्साहित किया। विधायक डॉक्टर तेज बहादुर सिंह चौहान ने माता अहिल्या के जीवन पर प्रकाश डालते हुए उपस्थित नारी शक्ति को उनके जीवन कथानक का अध्ययन करने एवं उससे अपने जीवन में सफलता अर्जित कर अपने परिवार एवं समाज का कल्याण करने की प्रेरणा लेने का अनुरोध किया। विधायक डॉक्टर चौहान ने कहा कि इतने अल्प समय में देवी अहिल्या की शिक्षाओं पर चर्चा करना संभव नहीं है इसलिए उनसे संबंधित साहित्य का अध्ययन करना वर्तमान परिदृश्य में अत्यंत आवश्यक है। भारत सरकार द्वारा माता अहिल्या के सुशासन से प्रेरणा लेकर देश के धर्म परायण एवं संस्कृति को चिर स्थाई बनाने के लिए देवी अहिल्या की शिक्षाओं पर अग्रसर है।
निबंध प्रतियोगिता प्रातः 11:00 बजे प्रारंभ हुई बड़ी संख्या में बेटियों एवं महिलाओं ने सहभागिता कर माता अहिल्या के जीवन को अपने शब्दों में पिरोया। निबंध प्रतियोगिता नगर मंडल अध्यक्ष विजय पटेल के संयोजन एवं उपाध्यक्ष रितु पांडे के प्रभार में संपन्न हुई। संचालन पुष्पा रघुवंशी ने किया। नगर मंडल के महामंत्री दौलत राम प्रजापत, उपाध्यक्ष हिम्मतसिंह राठौर, अनिल जोशी, निलेश मेहता, रविंद्रसिंह राणावत, अमर सोलंकी, दिनेश मंडोरा, राकेश चौहान, पीयूष चौहान, चेतन राठौर, नगर महिला मंडल की भावना रावल, हेमलता बागड़ी, वर्षा मेहता, अनीता रघुवंशी, आशा जैन, निर्मल सोनी, दुर्गा लीलानी, मोना सोनी, सुशीला बाई जैन, हेमलता सोनी, साधना शर्मा एवं बड़ी संख्या में भाजपा सदस्य मौजूद रहे।
देवी अहिल्याबाई होलकर का जीवन कई मायनों में खास रहा है:
देवी अहिल्याबाई होलकर का जीवन एक कुशल प्रशासक, न्यायप्रिय शासक, धर्मनिष्ठ व्यक्ति और समाज सुधारक के रूप में असाधारण रहा।
जन कल्याण और सुशासन: उन्होंने अपना जीवन समाज, संस्कृति और राष्ट्र के लिए समर्पित कर दिया।
प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना: उनका जीवन विषमताओं से भरा रहा। मात्र 29 वर्ष की उम्र में उनके पति खंडेराव वीरगति को प्राप्त हो गए। उसके बाद उनके ससुर मल्हार राव होलकर का भी निधन हो गया और फिर उनके पुत्र मालेराव का भी। इन व्यक्तिगत दुखों के बावजूद, उन्होंने साहसपूर्वक शासन की बागडोर संभाली और जनसेवा में कोई बाधा नहीं आने दी।
धार्मिक और सांस्कृतिक योगदान: वे एक महान धर्मपरायण शासक थीं। उन्होंने पूरे भारत में सैकड़ों मंदिरों और धर्मशालाओं का निर्माण करवाया। उन्होंने विशेष रूप से काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया, जिसे औरंगजेब ने नष्ट कर दिया था। उन्होंने घाट, कुएं और बावड़ी भी बनवाए। उनके राज्य के सभी शासकीय आदेश भगवान शिव शंकर के नाम से जारी होते थे, और वे स्वयं राजकाज के समय शिवलिंग धारण करती थीं।
कुशल प्रशासक और योद्धा: उन्होंने महेश्वर को अपनी राजधानी बनाया और उसे एक साहित्यिक, संगीत, कलात्मक और औद्योगिक केंद्र में बदल दिया, जहाँ महेश्वरी साड़ियों का उद्योग भी स्थापित किया।
सामाजिक सुधार: उन्होंने महिलाओं की शिक्षा और विधवा पुनर्विवाह का समर्थन किया, और सती व अस्पृश्यता जैसी कुरीतियों का विरोध किया।
साधारण पृष्ठभूमि: वे महाराष्ट्र के चौंढी नामक गांव के एक साधारण किसान के परिवार में जन्मी थीं, लेकिन अपनी प्रतिभा और क्षमता से उन्होंने विशेष स्थान प्राप्त किया।
लोकमाता की उपाधि: उनके जनहितकारी कार्यों और आदर्श शासन के कारण उन्हें समाज ने "पुण्य-श्लोका", "लोकमाता", "मातोश्री", "न्यायप्रिया" और "प्रजावत्सला" जैसी उपाधियों से सम्मानित किया।।
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