बढ़ती महंगाई से रसोई का बजट गड़बड़ा गया
- by admin
- Jun 10, 2023
मुंबई, बढ़ती महंगाई से रसोई का बजट गड़बड़ा गया है। देश में महंगाई की मार से आम जनता बुरी तरह त्रस्त है। तेल-सब्जियों से लेकर खाने-पीने की चीजों के दाम में बेतहाशा वृद्धि ने रसोई का बजट गड़बड़ा दिया है। गर्मी बढ़ने के साथ ही हरी सब्जियों के दाम जहां आसमान छू रहे हैं, वहीं दाल के दाम ५० रुपए प्रति किलो तक और बढ़ जाने से बेस्वाद हो गई है। साथ ही जीरा ६०० रुपए प्रति किलो तक हो गया है। जानकारी के अनुसार, पिछले एक महीने में दालों के रेट में जबरदस्त उछाल आया है। सभी प्रकार की दाल की कीमत ५० रुपए प्रति किलो तक बढ़ गई है। जीरे के दाम ३०० रुपए प्रति किलो से बढ़कर ६०० रुपए प्रति किलो तक हो गया है। इससे रसोई का बजट गड़बड़ाने लगा है। नवीन मंडी में भिंडी और अरवी ४०-५० रुपए प्रति किलो में बिक रही हैं। अदरक के दाम २२० से २४० रुपए प्रति किलो हैं। खीरा और नींबू भी एक सप्ताह में महंगे हुए हैं। केंद्र सरकार ने दाल भंडारण पर रोक लगा दी है। इसके बाद भी अरहर के साथ छोले, धुली उदड़ की दाल के भाव में खासी तेजी आई है। एक तरफ छोटे व्यापारी इसे जमाखोरी बता रहे है। नवीन मंडी व्यापारी और संयुक्त व्यापार संघ अध्यक्ष नवीन गुप्ता ने बताया कि मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में इस बार अरहर की फसल कम हुई है, जिस कारण महंगाई बढ़ी है। जीरे के दाम भी दो माह में दोगुना हो गए हैं। सदर मंडी व्यापारी गौरव गुप्ता ने बताया कि ३०० रुपए प्रति किलो तक मिलने वाला जीरा अब ६०० रुपए प्रति किलो बाजार में मिल रहा है।
तेल और रिफाइंड के दाम में भी बढ़ोतरी हुई है, जो १६५ रुपए प्रति लीटर तक पहुंचा रिफाइंड अब १८५ रुपए प्रति लीटर में मिल रहा है। सरसों का तेल १७० रुपए प्रति लीटर से बढ़कर १८७ रुपए प्रति लीटर मिल रहा है। वहीं नवीन मंडी में टमाटर अपनी लालिमा दिखाने लगा है। सब्जी विक्रेता ५० से ६० रुपए प्रति किलो में बेच रहे हैं। सरकार के जीएसटी काउंसिल की सिफारिशों को लागू कर देने के बाद से आटा, चावल, दही और पनीर समेत रोजमर्रा की वस्तुओं के दाम बढ़ गए। इसकी मार आम आदमी पर पड़ी है और घर की रसोई का बजट गड़बड़ा गया है। गृहणियों में पहले खाद्य तेलों के दाम में बढ़ोतरी, फिर घरेलू गैस सिलिंडर, अब पैकेट बंद अनाज को जीएसटी के दायरे में लाने पर सरकार के प्रति गहरी नाराजगी जताई है। महिलाओं का कहना है कि सरकार का बढ़ती महंगाई रोकने पर कोई ध्यान नहीं है। इससे घरेलू आर्थिक स्थिति बिगड़ सकती है।
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