साँची का महान स्तूप भारत का सबसे प्राचीन ऐतिहासिक धरोहर
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- Jul 01, 2024
साँची का महान स्तूप भारत की सबसे प्राचीन संरचनाओ में से एक है और असल में तीसरी शताब्दी में सम्राट अशोक महान ने इसे बनवाया था।इसका नाभिक अर्धगोल ईट संरचना में बौद्ध के अवशेषों के आधार पर बनाया गया है। इसे छत्र का ताज भी पहनाया गया है, यह छत्र बुद्धा की उच्चता को दर्शाता है।वहाँ रत्नों से आभूषित एक पिल्लर भी स्थापित किया गया है। पिल्लर के उपरी भाग को पास ही के चंदवा में भी रखा गया है। यह पिल्लर अशोक का ही शिलालेख था और गुप्त के समय में शंख लिपि से बनने वाले आभूषण भी इसमें शामिल है साँची भारत के मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित एक छोटा सा शहर है. यह अपने प्राचीन बौद्ध स्थल के लिए प्रसिद्ध है, जो यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल और एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है. साँची मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 50 किमी उत्तर पूर्व में स्थित है, जहां सड़क या रेल मार्ग द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है.
शुंगा पीरियड –
वास्तविक ईंटो के स्तूप को बाद में शुंगा के समय में पत्थरो से ढँका गया था। अशोकवादना के आधार पर, ऐसा माना गया था की स्तूप को दूसरी शताब्दी में कही-कही पर तोडा-फोड़ा गया था, शुंगा साम्राज्य के विस्तार को लेकर ऐसा माना जाता है की शुंगा के सम्राट ने पुष्यमित्र शुंगा ने मौर्य साम्राज्य का आर्मी जनरल बनकर उसे अपना लिया था।ऐसा कहा जाता है की पुष्यमित्र ने ही वास्तविक स्तूप को क्षति पहुचाई थी और तोड़-फोड़ की थी और उनके बेटे अग्निमित्र ने इसका पुनर्निर्माण करवाया था। बाद में शुंगा के शासनकाल में ही, स्तूप को पत्थरो से सजाया गया और अब स्तूप अपने वास्तविक आकर से और भी ज्यादा विशाल हो गया था।
सांची का महान स्तूप
सांची का मुख्य आकर्षण महान स्तूप है. माना जाता है कि यह ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में सांची में बनाया गया पहला स्मारक है. यह भारत की सबसे पुरानी पत्थर संरचनाओं में से एक है जिसे बौद्ध वास्तुकला और कला के बेहतरीन उदाहरणों में से एक माना जाता है. इस स्तूप का निर्माण मौर्य सम्राट अशोक ने करवाया था. इस स्तूप में एक अर्धगोलाकार गुंबद है जो एक रेलिंग और चार प्रवेश द्वारों से घिरा हुआ है. प्रत्येक रेलिंग और गुंबद जटिल नक्काशी और बुद्ध के जीवन की कहानियों को दर्शाने वाली मूर्तियों से सुसज्जित है. स्तूप एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है. इतिहास और वास्तुकला में रुचि रखने वाले हर व्यक्ति को इसे अवश्य देखना चाहिए.
अशोक स्तूप
महान स्तूप के अलावा, सांची में कई अन्य स्तूप, मंदिर और मठ भी हैं जो देखने लायक हैं. स्तूप संख्या 2 भी महत्वपूर्ण है और माना जाता है कि इसका निर्माण दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व के दौरान हुआ था. स्तूप संख्या 3, सांची पहाड़ी पर एक और अच्छी तरह से संरक्षित स्तूप है, जो दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व के मध्य का है. अशोक स्तंभ एक और स्तूप है. यह महान स्तूप दक्षिणी प्रवेश द्वार के करीब स्थित है और अपने सौंदर्य विशिष्ट संरचनात्मक संतुलन के लिए जाना जाता है. अशोक स्तंभ के मुकुट पर पीछे की ओर खड़े चार शेरों की आकृति भी भारत का राष्ट्रीय प्रतीक है.
सांची स्तूप के रोचक तथ्य
- साँची स्तूप में पवित्र गोलार्ध में एक ठोस कोर है जिसमे प्रवेश नही किया जा सकता है, लेकिन इसके भीतर भगवान बुद्ध के पवित्र एवं वास्तिक अवशेष रखे हुए है।
- मध्य में स्थित हरिका या स्कावायर रेलिंग यहा के पवित्र दफन स्थल के बारे में बताते है।
- इस महान स्तूप में तीन गोलाकार छत्र डिस्क और बौध धर्म के त्रिनेत्र है।
- सम्राट अशोक ने भगवान बुद्ध के सम्मान में तीसरी शताब्दी ईशा पूर्व में साँची स्तूप का निर्माण करवाया था।
- साँची स्तूप की ऊंचाई लगभग 54 फिट है।
- इस स्तूप में स्थापित अधिकतर बौद्ध की प्रतिमाओ पर एक मोर्य कालीन पोलिस किया गया था जिससे प्रतिमाओं में कांच की तरह चमक आ गयी थी।
- इस स्तूप को भगवान बुद्ध के जन्म, जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म के चक्र से मोक्ष के प्रतीक के रूप में जाना जाता है।
- यह स्तूप चार दरवाजो के बीच में है जो भगवान बुद्ध और जातक की विभिन कथाओ के विभिन पहलुओ को वर्णित करते है।
- भारत का राष्ट्रीय चिन्ह साँची से ही लिया गया है।
- साँची स्तूप यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में से एक है।
साँची में घूमने लायक पर्यटन और आकर्षण स्थल
vअशोक स्तंभ
अशोक स्तंभ तीसरी शताब्दी में बनाया गया था लेकिन काफी पुराना होने के वावजूद भी यह ऐसा लगता है जैसे नवनिर्मित किया गया हो। इसमें आज भी बहुत मजबूती है इसकी बनाबट सारनाथ स्तंभ से भी मेल खाती है और इसकी संरचना ग्रीको बौद्ध शैली से काफी प्रभावित है।
vद ग्रेट बाउल
ग्रेट बाउल या ग्रैंड गुंबद पत्थर का एक बड़ा खंड है जिसका उपयोग बौद्ध भिक्षुओं को भोजन और अन्य सामग्री वितरित करने के लिए किया जाता था। यह विभिन्न ऐतिहासिक स्मारकों के बीच आज भी इतने लम्बे समय से खड़ा हुआ है और साँची स्तूप की प्रसिद्धी में अपनी भूमिका निभा रहा है।
vपूर्वी गेटवे
35 वी ईशा पूर्व में साँची में चार द्वार बनाए गए थे जो भगवान बुद्ध के जीवन से सम्बंधित विभिन्न पहलूओ का बहुत ही सुन्दर चित्रण करते है। खूबसूरत चित्रण के साथ-साथ खूबसूरत अलंकरण और नक्काशी अभी भी इन संरचनाओं में पायी जाती हैं जिससे पता चलता है कि यह समय की कसौटी पर कैसे खड़े हुए हैं। इनमे से पूर्वी प्रवेश द्वार उनकी यात्रा के विभिन्न चरणों का वर्णन करता है।
vगुप्त मंदिर
गुप्त मंदिर भारत में बने उन तमाम मंदिरों में से एक है जो अपनी सुन्दरता और अखंडता के लिए जाने जाते है। यह मंदिर उन तमाम सिद्धांतो का उदाहरण प्रस्तुत करता है जिनका पालन इसके निर्माण के समय किया गया था। मंदिर में किया गया कुसल कार्य उस युग की कला कृतियों को उजागर करता है।

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